बहुत दिन बाद मन हुआ कि चलो बर्गर खा कर आते हैं, भीड़ ज्याद थी तो मेरे पति ने मुझे बेठने के लिए कहा और खुद ऑर्डर करने के लिए लाइन में लग गए। मैं बैठी हुई थी तभी मेरी नजर दरवाजे से बाहर जाते हुए एक कपल पर पड़ी उनके साथ लगभग 1 साल का बच्चा भी था उस लड़की को मैं जानती थी मैंने जोर से उसका नाम पुकारा तो उसने पीछे मुड़कर मुझे देखा, मुझे देखती ही वो बोली अरे आप यहां कैसे मैंने उसे बताया कि शादी के बाद यहीं शिफ्ट हो गए उसने मुझे शादी की बधाई दी और घर आने का निमंत्रण भी। वो चली गई सच बताऊं तो पता नहीं क्यों उसको खुश देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही थी। हम दोनों एक ही ऑफिस में जॉब करते थे और वो मेरी जूनियर थी । मैंने कभी सीनियर होने का दिखावा नहीं किया इसीलिए शायद जूनियर्स से मेरी कुछ ज्यादा ही बनती थी और फिर मेघा (बदला हुआ नाम) तो मेरी रूममेट भी थी तो उससे मुझे कुछ ज्यादा ही लगाव था। मुझे अच्छे से याद है जब वो मेरे पास आई और फेसबुक पर एक लड़के की प्रोफाइल दिखाकर मुझसे पूछने लगी कि दीदी ये लड़का कैसा है? लड़का देखने में अच्छा था तो मैंने भी बोल दिया कि अच्छा लग रहा है...तब उसने मुझे बताया कि लड़के ने उसे शादी के लिए प्रपोज किया है। बड़ी होने की वजह से मैंने उसे समझाया कि फेसबुक वाले प्यार के चक्कर में वो ना पड़े। उसने कहा कि दीदी मैंने मम्मी को सब बता दिया है और मम्मी ने लड़के से फोन पर बात भी की है जल्द ही पापा उसके घर जाएंगे। मैंने कहा तुम्हे नही लगता ये सब कुछ जल्दी ही हो रहा है, तब उसने बताया कि लगभग चार महीने से वो दोनों बात कर रहे हैं। समय बीतता गया उसके घरवालों ने उसी लड़के से उसकी शादी फिक्स कर दी सगाई और शादी की डेट भी रख दी गई। नवंबर में दोनों की सगाई हुई और एग्जाम के बाद यानि की फरवरी में शादी की होने वाली थी। मुझे अच्छे से याद है कि हर बार की तरह ही मैं 31 दिसंबर की रात को आराम से सो रही थी तभी मेघा ने आकर मुझे जगाया और कहने लगी कि आप वार्डन से कहो ना कि नीचे काम है जाने दें, मैंने पूछा रात के 12 बजे तुम्हें कहां जाना है? तब उसने बताया कि जिससे उसकी शादी होने वाली है वो नीचे उससे मिलने के लिए खड़ा है। वार्डन ने इस शर्त पर जाने दिया कि मैं भी उसके साथ जाऊं और पांच मिनट में वापस आ जाऊं। जल्दी-जल्दी हम नीचे गेट पर गए तो देखा वो ढेर सारे गुलाब के फूल लेकर खड़ा था मैं एक किनारे खड़ी हो गई उसके बाद उसने उसे गुलाब देकर रिंग पहनाई वो भी बिल्कुल फिल्मी अंदाज में। वैसे तो वो सब देखकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन गुस्सा भी आ रही थी क्योंकि इनकी आशिकी के चक्कर में मेरी नींद खराब हो गई थी। ना चाहते हुए भी मुझे बोलना पड़ा कि अब चलना चाहिए। हम वापस अपने रूम में आ गए। मेघा बहुत खुश दिख रही थी उसकी आंखों से नीद जैसे गायब ही हो गई थी एक टक बस रिंग को ही देखे जा रही थी मैंने कहा कि क्यों पगलाई हुई है सगाई तो पहले भी हो चुकी है ना रिंग तो पहले भी पहनाई ही थी ना... वो तुरंत बोली हां दीदी लेकिन रात के 12 बजे आकर नहीं. साथ ही बोला अभी आप नहीं समझोगी सच बात तो ये थी कि उस वक्त मुझे सच में कुछ नहीं समझना था मुझे बस सोना था क्योंकि मुझे ऑफिस जाना था और मेघा की नींद गायब थी क्योंकि उसे अब ऑफिस नहीं जाना था, फरवरी में ही शादी थी इसलिए उसने जॉब छोड़ दी थी और कल यानि 1 जनवरी को वो अपने घर जा रही थी। सुबह हुई मैं अपने ऑफिस निकल ली और वो अपने घर। शाम को आई कमरा बहुत ही खाली सा लग रहा था। तभी उसका मैसेज आया कि दीदी मैं घर पहुंच गई हूं और आप भी मेरी शादी में आने की तैयारी कर लीजिए। समय बीतता गया और उसके शादी के बस 2 दिन ही बचे थे लेकिन आज सुबह से ही ऑफिस में खुसर-फुसर हो रही थी उसमें मेघा का नाम भी सुनाई दे रहा था मैंने भी जानना चाहा कि आखिर बात क्या है और फिर जो मैंने सुना उसे सुनकर ऐसा लगा कि मानों कुछ सेकेंड के लिए मेरी सांसे रुक गई हो। मैंने तुरंत अखबार उठाया और देखा बात बिल्कुल सही थी मेघा जिससे प्यार करती थी उसकी सड़क हादसे में मौत हो गई थी। मैंने दूसरे दिन ऑफिस से छुट्टी ली और मेघा के गांव पहुंची.उसके घर पर लोगों का आना जाना लगा हुआ था मैं भी उसके पास पहुंची मुझे देखकर ही वो मुझसे लिपटकर रोने लगी उसकी हालत देखकर मुझे भी रोना आ गया बड़ी मुश्किल से मैंने उसे और खुदको शांत कराया तभी उसका फोन बजा, देखा तो लड़के की भाभी का फोन था फोन रिसीव करते ही वो मेघा पर बरस पड़ी और कहने लगी कि मेघा की वजह से ही उसकी जान गई क्योंकि वो उसके लिए अपशगुनी थी। ये सब सुनकर मेघा और भी रोने लगी मैंने उससे फोन छीनकर कॉल काट दी। मेघा ने बताया कि वो लड़के के घर गई थी जहां हर कोई सिर्फ उसपर ही इल्जाम लगा रहा था कि वो लड़के के लिए अशुभ थी। मुझे पता था कि ये सब इतना आसान नहीं था लेकिन फिर भी मैंने उससे कहा कि वो ये सब भुलाकर आगे की सोचे। एक दिन रुककर मैं वहां से चली आई मेघा के घरवाले उसे कहीं भी अकेले भेजने को तैयार नहीं थे उन्हें लग रहा था कि कहीं वो सुसाइड ना कर कर ले। खैर इस हादसे के बाद मेघा ने अपने सभी दोस्तों से बात करना बंद कर दिया यहां तक कि मुझसे भी। मैने उसके बारे में बस इतना सुना था कि बीती बातों को भुलाकर उसने MBA में दाखिला लिया है। कई बार सोचा कि उससे मिलकर बात करूं लेकिन फिर सोचती थी कि कहीं मुझसे मिलकर उसे पुरानी बातें फिर से ना याद आ जाएं। आज उस हादसे को लगभग 5 साल हो गए हैं और मेघा को खुश देखकर बस यही सोचती हूं कि दुख और सुख तो जीवन का पहलू है कुछ लोग इसी दुख में डूब जाते हैं तो कुछ मेघा जैसे लोग जीवन की सच्चाइओं को समझकर सुख की तलाश में निकल लेते हैं।
नोट: अक्सर फेशन और स्टाइल के चक्कर में हम बाइक चलाते वक्त हेलमेट नहीं पहनते लेकिन, याद रखिएगा कि एक्सीडेंट में कई लोगों कि खुशियां बर्बाद हो जाती है।
आकांक्षा
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